THE 5-SECOND TRICK FOR प्रेरक प्रषंग

The 5-Second Trick For प्रेरक प्रषंग

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मुगलकालीन ऐतिहासिक स्रोतों में राजकीय पत्र, डायरियां, फरमान, ऐतिहासिक ग्रंथ एवं विदेशी यात्रियों के विवरण प्रमुख हैं। मुगलकालीन फारसी साहित्य के मुख्य ग्रंथ इस तरह हैं- तुजुक-ए-बाबरी[संपादित करें]

एन. डी के अनुसार, ‘‘यद्यपि पुस्तक की शैली अत्यधिक कलात्मक और अलंकृत है, पर इसमें वर्णित सामान्य तथ्य साधारणतः सत्य है।’’ तबकात-ए-नासिरी[संपादित करें]

बाबर की बेटी एवं हुमायूँ की बहन गुलबदन बेगम द्वारा रचित हुमायूँनामा के पहले भाग से बाबर के विषय में एवं दूसरे भाग से हुमायूँ के विषय में जानकारी मिलती है। 

अशोक के बाद अभिलेखों को दो वर्गों में बाँटा जा सकता है- राजकीय अभिलेख और निजी अभिलेख। राजकीय अभिलेख या तो राजकवियों द्वारा लिखी गई प्रशस्तियाँ हैं या भूमि-अनुदान-पत्र। प्रशस्तियों का प्रसिद्ध उदाहरण हरिषेण द्वारा लिखित समुद्रगुप्त की प्रयाग-प्रशस्ति अभिलेख (चौथी शताब्दी) है जो अशोक-स्तंभ पर उत्कीर्ण है। इस प्रशस्ति में समुद्रगुप्त की विजयों और उसकी नीतियों का विस्तृत विवेचन मिलता है। इसी प्रकार राजा भोज की ग्वालियर प्रशस्ति में उसकी उपलब्धियों का वर्णन है। इसके अलावा कलिंगराज खारवेल का हाथीगुम्फा अभिलेख (प्रथम शताब्दी ई.

हिन्दू धर्म विश्व का सबसे प्राचीनतम धर्मो में से एक है। प्राचीन भारत में इसका उदय होने से प्राचीन भारतीय समाज की विस्तृत जानकारी हिन्दू धर्म से सम्बंधित पुस्तकों से मिलती हैं।हिन्दू धर्म में अनेक ग्रन्थ, पुस्तकें तथा महाकाव्य इत्यादि की रचना की गयी हैं, इनमे प्रमुख रचनाएँ इस प्रकार से है – वेद, वेदांग, उपनिषद, स्मृतियाँ, पुराण, रामायण एवं महाभारत। इनमे ऋग्वेद सबसे प्राचीन है। website इन धार्मिक ग्रंथों से प्राचीन भारत की राजव्यवस्था, धर्म, संस्कृति तथा सामाजिक व्यवस्था की विस्तृत जानकारी मिलती है।

भूगोल प्राचीन काल से उपयोगी विषय रहा है और आज भी यह अत्यन्त उपयोगी है। भारत, चीन और प्राचीन यूनानी-रोमन सभ्यताओं ने प्राचीन काल से ही दूसरी जगहों के वर्णन और अध्ययन में रूचि ली। मध्य युग में अरबों और ईरानी लोगों ने यात्रा विवरणों और वर्णनों से इसे समृद्ध किया। आधुनिक युग के प्रारंभ के साथ ही भौगोलिक खोजों का युग आया जिसमें पृथ्वी के ज्ञात भागों और उनके निवासियों के विषय में ज्ञान में अभूतपूर्व वृद्धि हुई। भूगोल की विचारधारा या चिंतन में भी समय के साथ बदलाव हुए जिनका अध्ययन भूगोल के इतिहास में किया जाता है। उन्नीसवीं सदी में पर्यावरणीय निश्चयवाद, संभववाद और प्रदेशवाद से होते हुए बीसवीं सदी में मात्रात्मक क्रांति और व्यावहारिक भूगोल से होते हुए वर्तमान समय में भूगोल की चिंतनधारा आलोचनात्मक भूगोल तक पहुँच चुकी है।

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भूगोल का इतिहास इस भूगोल नामक ज्ञान की शाखा में समय के साथ आये बदलावों का लेखा जोखा है। समय के सापेक्ष जो बदलाव भूगोल की विषय वस्तु, इसकी अध्ययन विधियों और इसकी विचारधारात्मक प्रकृति में हुए हैं उनका अध्ययन भूगोल का इतिहास करता है।

उपरोक्त परिभाषाएँ इतिहास को अतीत की घटनाओं के एक महत्वपूर्ण अभिलेख के रूप में समझाती हैं, एक सार्थकमनुष्य के साथ क्या हुआ और क्यों हुआ, इसका विवरण दर्शाती मानव जाति की कहानी। मुख्य रूप से यहमानव जगत से संबंधित है।

आजाद भारत में पंडित जवाहरलाल नेहरु को भारत का प्रधानमंत्री बनाया गया। उनके नेतृत्व में भारत ने असामाजिक अर्थव्यवस्था को अपनाया था। कुछ अर्थशास्त्र विद्वानों के अनुसार यह मिश्रित अर्थव्यवस्था थी। इस समय में भारत ने इंफ्रास्ट्रक्चर, विज्ञान और तंत्रज्ञान क्षेत्रो में काफी विकास किया।

एम. अशरफ ने लिखा है, ‘‘आईने अकबरी सामाजिक इतिहास का प्रतीक है।’’ ब्लोचमेन के अनुसार, ‘‘यह भिन्न-भिन्न प्रकार के अध्ययन का खजाना है।’’ मुन्तखाब-उत-तवारीख[संपादित करें]

मुगल साम्राज्य के तहत कला और वास्तुकला

पुराण : प्राचीन आख्यानों से युक्त ग्रंथ को ‘पुराण’ कहते हैं। इनकी रचना का श्रेय ‘सूत’ लोमहर्षण अथवा उनके पुत्र उग्रश्रवस या उग्रश्रवा को दिया जाता है। पुराणों की संख्या अठारह बताई गई है जिनमें मार्कण्डेय, ब्रह्मांड, वायु, विष्णु, भागवत और मत्स्य संभवतः प्राचीन माने जाते हैं, शेष बाद की रचनाएँ हैं।

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